जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष बने भारत के पहले लोकपाल
नई दिल्ली :-देश के पहले लोकपाल के तौर पर जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस घोष के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति और चीफ जस्टिस रंजन गोगई भी मौजूद रहे। मई 2017 में उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं।जस्टिस पीसी घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। जस्टिस घोष उच्चतम न्यायालय के जज रह चुके हैं। वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं। वह अपने दिए गए फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार करते थे। वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं। सुप्रीम कोर्ट से पहले वह पूर्व में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं। पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ। वह कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिवंगत जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं।जस्टिस पी. सी. घोष को लोकपाल नियुक्त करने के साथ न्यायिक सदस्यों के तौर पर जस्टिस दिलीप बी. भोंसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी, जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी होंगे। न्यायिक सदस्यों के साथ ही कमिटी में 4 अन्य सदस्यों के तौर पर दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम भी शामिल किए गए हैं।प्रधानमंत्री के खिलाफ भी जांच हो सकती है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। प्रधानमंत्री के खिलाफ यदि आरोप तरराष्ट्रीय संबंध, बाहरी और आंतरिक सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित होंगे तो एक्ट लोकपाल जांच की अनुमति नहीं देता है। प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायतों की जांच तब तक नहीं हो सकती है तब तक लोकपाल की पूर्ण पीठ जांच शुरू करने पर विचार नहीं करती है और कम से कम दो तिहाई सदस्य इसे स्वीकृति नहीं प्रदान कर देते हैं।लोकपाल में कई विंग का गठन किया जाएगा। इसमें एक इन्क्वॉयरी विंग होगा जो लोक सेवकों पर आरोपों को लेकर जांच कर सकेगा। इसमेंं एक प्रोजेक्यूसन विंग भी होगा जो इस एक्ट के अंतर्गत लोकपाल की शिकायतों को लेकर लोक सेवकों पर अभियोग चला सकेगा। ये केंद्रीय लोकपाल के राज्य समकक्ष हैें। प्रत्येक राज्य को लोकायुक्त संस्था का गठन करना होगा।किसी लोक सेवक के खिलाफ शिकायत मिलने पर लोकपाल प्राथमिक जांच का आदेश दे सकता है (90 दिनों के अंदर यह जांच पूरी करनी होगी) या किसी भी एजेंसी को जांच का आदेश दे सकता है।